लोकानुप्रेक्षा ]
अर्थः — पृथ्वी, जळ, अग्नि अने वायु ए चार तो बादर पण छे तथा सूक्ष्म पण छे, तथा पांचमी वनस्पति छे ते प्रत्येक अने साधारण – एवा भेदथी बे प्रकारनी छे.
हवे साधारण अने प्रत्येकना सूक्ष्मपणाने कहे छेः —
अर्थः — साधारण जीवो बे प्रकारना छेः अनादिकालीन एटले नित्यनिगोद तथा सादिकालीन एटले इतरनिगोद. ए बंने बादर पण छे तथा सूक्ष्म पण छेः बाकीना प्रत्येक वनस्पतिना अने त्रसना ए बधा बादर ज छे.
भावार्थः — पूर्वे कहेला जे छ प्रकारना सूक्ष्म जीवो छे ते पृथ्वी, जळ, तेज अने वायु तो पहेली गाथामां कह्या, तथा नित्यनिगोद अने इतरनिगोद ए बंने — ए प्रमाणे छ प्रकारना तो सूक्ष्म जाणवा. वळी छ प्रकार ए कह्या, (ते सिवाय) बाकीना रह्या ते सर्व बादर जाणवा.
हवे साधारणनुं स्वरूप कहे छेः —
अर्थः — जे अनंतानंत प्रमाण जीवोने आहार, उच्छ्वास, काय अने आयु साधारण एटले समान छे ते बधा साधारण जीव छे.
वळी गोम्मटसारमां कह्युं छे के —