Tattvagyan Tarangini-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 104 of 153
PDF/HTML Page 112 of 161

 

background image
१०४ ][ तत्त्वज्ञान-तरंगिणी
निज सहजात्मस्वरुपनी प्राप्ति रत्नत्रय विण कदिये,
थाय न काांय कोइने द्रढ ए निश्चय मुज Òदये रे.
भविका रत्नत्रय आदरिये. २२.
अर्थ :तेथी मारा चित्तमां सर्वदा द्रढ निश्चय छे के रत्नत्रय
विना कोईने पण क्यांय कदी पण स्वशुद्ध चिद्रूपनी सर्वोत्कृष्ट प्राप्ति थती
नथी. २२.