Tattvagyan Tarangini-Gujarati (Devanagari transliteration).

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६४ ][ तत्त्वज्ञान-तरंगिणी
निश्चय ने व्यवहार नय मनमोहन मेरे,
यथाविधिा भज चंग रे, मनमोहन मेरे;
जिनवचने जिनचरणमां मनमोहन मेरे,
प्रतीति जेम अभंग रे, मनमोहन मेरे. १८.
अर्थ :उपर कह्या मुजब तुं निश्चय अने व्यवहारनयनुं विधि
प्रमाणे ग्रहण कर के, जेथी जिन प्रणीत आगममां अने
(स्वरूपरमणतारूप) जिनना आचरणमां पण श्रद्धा थाय. १८.
व्यवहारं विना केचिन्नष्टा केवलनिश्चयात्
निश्चयेन विना केचित् केवलव्यवहारतः ।।१९।।
निश्चयमात्रथी बहु थया मनमोहन मेरे,
नष्ट, विना व्यवहार रे; मनमोहन मेरे;
निश्चयविण त्यम नष्ट बहु मनमोहन मेरे,
मात्र ग्रही व्यवहार रे, मनमोहन मेरे. १९.
अर्थ :केटलाक व्यवहार विना मात्र निश्चयनुं ग्रहण करवाथी
नाश पामी गया, केटलाक निश्चय वगर, केवळ व्यवहारने ग्रहवाथी नष्ट
थई गया. १९.
द्वाभ्यां दृग्भ्यां विना न स्यात् सम्यग्द्रव्यावलोक नं
यथा तथा नयाभ्यां चेत्युक्तं स्याद्वादवादिभिः ।।२०।।
द्रव्य यथार्थ जणाय ना मनमोहन मेरे,
बे नयनो विण तेम रे, मनमोहन मेरे;
बन्ने नय सुतत्त्व ग्रहे मनमोहन मेरे,
कहे स्याद्वादी एम रे, मनमोहन मेरे. २०.
अर्थ :जेम बे नेत्रो वगर यथार्थ रीते पदार्थनुं अवलोकन
थाय नहि, तेम बे नयो विना यथार्थ अवलोकन थाय नहि, तेम स्याद्वाद
मतना जाणकारोए कह्युं छे. २०.