Yogsar Doha-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 8-9.

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योगसार
[ ५
जीव [परं आत्मानं] परमात्माने [न मनुते] जाणतो नथी [सः] ते
[बहिरात्मा जिनभणितः] बहिरात्मा छे एम जिनभगवाने कह्युं छे, ते
बहिरात्मा [पुनः] फरी फरी [संसारे] संसारमां [भ्रमति] परिभ्रमण करे
छे. ७.
हवे अंतरात्मानुं स्वरूप वर्णवे छेः
जो परियाणइ अप्पु परु जो परभाव चएइ
सो पंडिउ अप्पा मुणहु सो संसारु मुएइ ।।।।
यः परिजानाति आत्मानं परं यः परभावं त्यजति
सः पंडितः आत्मा इति मन्यस्व स संसारं मुञ्चति ।।।।
परमात्माने जाणीने, त्याग करे परभाव;
ते आत्मा पंडित खरो, प्रगट लहे भवपार.
अन्वयार्थ[यः] जे [परं आत्मानं] परमात्माने
[परिजानाति] जाणे छे, [यः] जे [परभावं] परभवनो [त्यजति] त्याग
करे छे [सः पंडितः आत्मा] ते पंडित (अन्तर) आत्मा छे. [मन्यस्व]
एम तुं जाण, [सः] ते अन्तरात्मा [संसारं] संसारने [मुञ्चति] छोडे
छे. ८.
परमात्मानुं स्वरूपः
णिम्मलु णिक्कलु सुद्धु जिणु विण्हु बुद्धु सिव संतु
सो परमप्पा जिण-भणिउ एहउ जाणि णिभंतु ।।।।
निर्मलः निष्कलः शुद्धः जिनः विष्णुः बुद्धः शिवः शांतः
स परमात्मा जिनभणितः एतत् जानीहि निर्भ्रान्तम् ।।।।
निर्मळ, निष्कल, जिनेन्द्र, शिव, सिद्ध, विष्णु, बुद्ध, शांत;
ते परमात्मा जिन कहे, जाणे थई निर्भ्रान्त.