शास्त्रपठन आत्मज्ञान विना निष्फळ छे ........................... ५३ -------- २८
इन्द्रिय अने मनना निरोधथी सहज
कोण संसारथी छुटकारो पामता नथी? .............................. ५६ -------- ३०
मोक्ष संबंधी नव द्रष्टांतो ............................................... ५७ -------- ३०
देहादिरूप हुं नथी ए ज्ञान मोक्षनुं बीज छे ..................... ५८ -------- ३१
आकाशनी जेम आत्मा शुद्ध छे ...................................... ५९ -------- ३१
पोतानी अंदर ज मोक्षमार्ग छे ...................................... ६० -------- ३२
निर्मोही थईने शरीरने पोतानुं न मानो ........................... ६१ -------- ३३
आत्मानुभवनुं फळ केवलज्ञान अने
धन्य ते भगवन्तोने ..................................................... ६४ -------- ३४
आत्मरमणता शिवसुखनो उपाय छे ................................. ६५ -------- ३५
कोई विरला ज तत्त्वज्ञानी होय छे ................................. ६६ -------- ३५
कुटुंबमोह त्यागवा योग्य छे .......................................... ६७ -------- ३६
अशरणभावना (संसारमां कोई पोताने शरण थतुं नथी) ...... ६८ -------- ३६
एकत्वभावना (जीव एकलो ज सुख-दुःख भोगवे छे) ........ ६९ -------- ३७
एकत्व भावना जाणवानुं प्रयोजन ................................... ७० -------- ३७
पुण्यने पाप कहेनारा कोई विरला ज छे ......................... ७१ -------- ३८
पुण्य अने पाप बन्ने हेय छे ....................................... ७२ -------- ३८
भावनिर्ग्रंथ ज मोक्षमार्गी छे ......................................... ७३ -------- ३९
देहमां देव छे ............................................................ ७४ -------- ४०
‘हुं ज परमेश्वर छुं’ एवी भावना ज मोक्षनुं कारण छे ..... ७५ -------- ४०
लक्षणथी परमात्माने जाणो ........................................... ७६ -------- ४१
रत्नत्रय निर्वाणनुं कारण छे .......................................... ७७ -------- ४१
रत्नत्रय शाश्वत सुखनुं कारण छे .................................... ७८ -------- ४२
चार गुण सहित आत्माने ध्याव .................................... ७९ -------- ४२