जेठ : २४८८ : २३ :
नवनीतभाई सी. झवेरी (मुंबई), १००१) श्री डाह्याभाई सोमचंद
(दहेगाम) १००१) श्री बाबा भाई हेमचंद (दहेगाम, प०१)
अमदावाद मुमुक्षु मंडळ प०१), श्री शान्ताबहेन तथा चंपाबहेन
जीवणलाल दहेगाम ३०१), भीखालाल अंबालाल दहेगाम, २प१)
नाथालाल एन्ड काुं मुंबई, श्री बाबुलाल चुनीलाल फत्तेपुर, श्री
माणेकलाल रामचंद फत्तेपुर, श्री छोटालाल केशवलाल तलोद, श्री
कोदरलाल तलोद, श्री चीमनलाल साणोदा, श्री ताराचंद कान्तिलाल
तलोद, श्री मंगळदास जीवराज तलोद, वकील कोदरदास काळीदास
दहेगाम, दरेकना रूा. २प१) श्री मणीलाल ईश्वर दहेगाम श्री
काळीदास वी. तलोद, श्री फतेचंद मोतीचंद दहेगाम ए दरेकना रूा.
२०१), मुंबई मुमुक्षु मंडळ, श्री जीवराज जे. चौधरी वासणा, श्री
मधुकान्ता बाबुभाई दहेगाम, श्री शुकनराज अमदावाद दरेकना रूा.
१प१), रूा. १०१)वाळा ४८ नाम छे, आ उपरांत अनेक
भाईओए पोतानो फाळो नोंधाव्यो छे. आ माटे सौने धन्यवाद.
स्थळ संकोचथी सौनां नामो अपाया नथी.
ब्र. गुलाबचंद जैन.
जैन दर्शन शिक्षणवर्ग
आ साल प्रौढ उमरना जैन भाईओने माटे ता. प–८–६२
रविवार थी ता. २४–८–६२ शुक्रवार सुधी जैन दर्शन शिक्षण वर्ग
चालशे. तेनो लाभ लेवा ईच्छनार जिज्ञासुओने सत्पुरुष श्री
कानजीस्वामी द्वारा दि. जैनधर्मना मूळ सिद्धांतोनां रहस्यमय
प्रवचनोनो पण लाभ मळशे. आवनार जिज्ञासुओने रहेवा–
जमवानी व्यवस्था संस्था तरफथी थशे. आववानी भावना होय
तेमणे अगाउथी लखी जणाववुं.
श्री दि. जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ (सौराष्ट्र)
“ दुःखनी निवृत्तिने सर्व जीव ईच्छे छे, अने दुःखनी
निवृत्ति, दुःख जेनाथी जन्म पामे एवा राग, द्वेष अने
अज्ञानादि दोषनी निवृत्ति थया विना संभवती नथी. ते
रागादिनी निवृत्ति एक आत्मज्ञान सिवाय बीजा कोई प्रकारे
भूतकाळमां थई शकती नथी, वर्तमानकाळमां थती नथी.
भविष्यकाळमां थई शके तेम नथी एम सर्व ज्ञानी पुरुषोने
भास्युं छे. माटे ते आत्मज्ञान माटे जीवने प्रयोजनरूप छे. तेनो
सर्वश्रेष्ठ उपाय सद्गुरु कथित वचननुं श्रवणवुं के सत्शास्त्रनुं
विचारवुं ए छे. जे कोई जीव दुःखनी निवृत्ति ईच्छतो होय–
सर्वथा दुःखथी मुक्तपणुं जेने पामवुं होय–तेने एज मार्ग
आराध्या सिवाय अन्य कोई उपाय नथी, माटे जीवे सर्व
प्रकारना मत मतांतरनो, कुळ धर्मनो, लोकसंज्ञारूप धर्मनो
उदासभाव भजी, एक आत्मविचार–कर्तव्यरूप भजवो योग्य छे.
–श्रीमद् राजचंद्र