मुमुक्षुः- आज तो उमरालाकी यात्रा...
समाधानः- गुरुदेवका वहाँ जन्मे। भरतक्षेत्रके महाभाग्य। भरतक्षेत्रकी एक महान विभूति, भरतके बेजोड रत्न गुरुदेव जगतमें पधारे थे। उनकी वाणीमें चमत्कार, उनके आत्मामें-ज्ञानमें-चमत्कार भरा था।
मुमुक्षुः- हिम्मतभाईने थोडी गुरुदेवकी महिमा, उस भूमिकी महिमा-जन्म भूमिकी महिमा सुनायी। हिम्मतभाईने दस-पंद्रह मिनट अच्छा वक्तव्य दिया। गुरुदेवकी जन्म भूमिकी महिमा बहुत अच्छी गायी।
मुमुक्षुः- गुरुदेवकी जन्म भूमि है, उसकी धूली भी धन्य है। सुवर्णपुरीकी धूल भी।
समाधानः- उनके उपकारको क्या गाना? बचपनमें वे ओढते थे। झरीकी हरी टोपी गुरुदेव ओढते थे। ऐसी मखमलकी। झरीका पहनावा वडाके दरबारमें-से आया था, वह गुरुदेवने पहना था। सर पर पघडी बान्धी थी। दो जन चँवर ढोते थे। यह गंगाबहिनको पूछा था। दो जन हाथीकी अँबाडी पर चँवर ढोते थे। इस प्रकार गुरुदेवने दीक्षा ली थी। गंगाबहन कल आये थे, वे कहते थे। उनको पूछा था। जो जन चँवर ढोते थे। और झरीका पहनावा वडाके दरबारमें-से आया था। और सर पर पघडी बान्धी थी।
मुमुक्षुः- एक ... भोळाभाई थे और एक प्रेमचन्द लक्ष्मीचन्द, लाठीवाले लेकिन गढडावाले, ये दो जन चँवर ढोते थे। ...
समाधानः- गंगाबहन तो बेचारे रोते थे।
मुमुक्षुः- गुरुदेव स्वाध्याय मन्दिरमें चक्कर लगा रहे हो तब हाथीकी अँबाडी इत्यादि बताये कि ये यह है, ये यह है।
मुमुक्षुः- माताजी आपको जो गुरुदेवके प्रति भक्ति है, वैसी हम सबको..
समाधानः- करना एक ही है। देव-गुरु-शास्त्रकी महिमा। गुरुदेवकी जन्म जयंति इस बार बहुत अच्छी (मनायी गयी)। आप सबके भाव थे और ये सब यहाँ सोनगढमें बहुत सुन्दर हो गया। मेरा तो ठीक है, मैं तो उनका दास हूँ। आप सबकी भावना थी।