Natak Samaysar (Gujarati). Samaysaar Kalash:.

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૪૩૪ સમયસાર નાટક
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
दरवित ये सातौं विसन
३४७
दरसन–ग्यान–चरन त्रिगुनातम
३८ नख सिख मित परवांन
१६१
दरसन ग्यान चरन दसा
२९९ नगर आगरे मांहि विख्याता
४१७
दरस विलोकनि देखनौं
२२ नटबाजी विकलप दसा
२६६
दर्व खेत काल भाव च्यारौं
३१५ नाटक समैसार हित जीका
४२०
दर्व भाव विधि संजुगत
३८६ नाना विधि संकट दसा
३९७
दर्वित आस्त्रव सो कहिए जहं
११० नाम साध्य–साधक कह्यौ
२६२
दर्सन विसुद्धिकारी बारह विरत–
३८५ निज निज भाव क्रियासहित २५०
दसधा परिग्रह–वियोग–चिंता
१६० निजरूपा आतम सकति
३५८
दुरबुद्धि मिथ्यामती
२५९ निपुन विचच्छन विबुध बुध
२२
दूषन अढ्ढारह रहित
४०४ निरभिलाष करनी करै
२४९
देखु सखी यह ब्रह्म विराजित
३७० निरभै निराकुल निगम वेद
२९५
देव कुदेव सुगुरु कुगुरु
३७० नियत एक विवहारसौं
३६७
देवमूढ गुरुमूढ़ता
३७७ निराकार चेतना कहावै दरसन
२१९
देह अचेतन प्रेत–दरी रज
१९७ निराकार जो ब्रह्म कहावै
२७१
निराबाध चेतन अलख
६०
धरति धरम फल हरति
२१४ निसि दिन मिथ्याभाव बहु
९०
धरम अरथ अरु काम सिव
१८० निहचै अभेद अंग उदै गुनकी
२६४
धरमकौ साधन जु वस्तुकौ
१८१ निहचै दरबद्रिष्टि दीजै
३५९
धरम न जानत बखानत
निहचै निहारत सुभाव
२४६
धर्मदास ये पंचजन
४१८ निहचैमैं रूप एक विवहारमैं
२८
धर्ममैं न संसै सुभकर्म
१६८ नै अनंत इहबिधि कही
३१३
धर्मराग विकथा वचन
३९२ नंदन बंदन थुति करन
२३३
धायौ सदा काल पै न पायौ
२०६
धीरके धरैया भवनीरकै
२३८ पद सुभाव पुरब उदै
२६२
ध्यान धरै करै इन्द्रिय–निग्रह
१३६ परकी संगति जो रचै
२२४
परकौं
पापारंभकौ
३९०

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પદ્યોની વર્ણાનુક્રમણિકા ૪૩પ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
परमपुरुष परमेसुर परमज्योति
१९
प्रगटरुप संसारमैं
३०७
परम प्रतीति उपजाय गनधरकीसी
५५
प्रगटि भेदविग्यान आपगुन
१२८
परम रूप परतच्छ
१६५ प्रथम अज्ञानी जीव कहै
६७
पर सुभावमैं मगन ह्वै
२७८ प्रथम एकांत नाम मिथ्यात
३६९
परिग्रह त्याग जोग थिर तीनौं
२३९ प्रथम करन चारित्रकौ
३९८
पाटी बांधी लोचनिसौं सकुचै
२०० प्रथम नियत नय दूजी
८६
पांडे राजमल्ल जिनधर्मी
४१७ प्रथम निसंसै जानि
१६८
पाप अधोमुख एन अघ
२१
प्रथम मिथ्यात दूजौ सासादन
३६९
पाप–पुन्नकी एकता
१०९ प्रथम सुद्रिष्टिसौ सरीररूप
२०८
पाप बंध पुन्न बंध दुहूंमैं
९८ प्रथम सिंगार वीर दूजौ रस
३०७
पुग्गलकर्म करै नहि जीव
८० प्रभु सुमरौ पूजौ पढ़ौ
१४४
पुद्गल परिनामी दरब
८१
प्रज्ञा धिसना सेमुसी
२१
पुन्य सुकृत ऊरध वदन
२१
पुव्वकरमविष तरु भए
२९३ फरस जीभ नासिका
१६३
पूरव करम उदै रस भुंजै
१४९ फरस–बरन–रस–गंध
१५
पूरव अवस्था जे करम–बंध कीने
११३
पूरब बंध उदय नहि व्यापै
२३९ बरनै सब गुनथानके
३६८
पूर्व उदै सनबंध
१३३ बहुत बढ़ाई कहालौं कीजै
४१९
पूर्व बंध नासै सोतो संगीत कला
१६९ बहुविधि क्रिया कलेससौं
१४६
पंच अकथ परदोष
१६८ बात सुनि चौंकि उठै बातहीसौं
१४६
पंच अनुव्रत आदरै
३८६ बानारसी कहै भैया भव्य सुनौ
४३
पंच खिपैं इक उपशमै
३८१ बालापन काहू पुरुष
२५७
पंच परकार ग्यानावरनकौ नास
३६१ बैदपाठी ब्रह्म मांनि निहचै सुरूप
२६३
पंच प्रमाद दसा धरै
३९२ बौध छिनकवादी कहै
२५६
पंच भेद मिथ्यातके
३७० बंदौं सिव अवगाहना
पंच महाव्रत पालै पंच समिति
३९२ बंध द्वार पुरौ भयौ
२१२
पंडित विवेक लहि एकताकी
१४१ बंध बढावै अंध वै
१७९
प्रकृति सात अब मोहकी
३७८

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૪૩૬ સમયસાર નાટક
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
बंधै करमसौं मूढ ज्यौं
१५७ मिश्र दसा पूरन भई
३७३
ब्रह्मग्यान आकासमैं
४११ मुकितके साधककौं बाधक
१०३
ब्रह्मग्यान–नभ अंत न आवै
४११ मूढ करमकौ करता होवै
१५६
मूढ मरम जानैं नही
२७२
भयौ ग्रंथ संपूरन भाखा
४०९ मुनि महंत तापस तपी
२२
भयौ सुध्द अंकूर गयौ
२४० मुरखकै घट दुरमति भासी
२७८
भावकरम करतव्यता
२५४ मृषा मोहकी परनति फैली
२९१
भाव पदारथ समय घन
१९
मैं करता मैं कीन्ही कैसी
१८८
भेदग्यान आरासौं दुफारा करै
२१२ मैं कीनौं मैं यौं करौं
२८९
भेदग्यान तबलौं भलौ
१२६ मैं त्रिकाल करनीसौं न्यारा
२९२
भेदग्यान संवर जिन्ह पायौ
१२६ मोख चलिवेकौ सौंन करमकौ
१२
भेदग्यान साबू भयौ
१२७ मोख सरुप सदा चिनमूरति
१०१
भेदग्यान संवरनिदान निरदोष
१२५ मोह मद पाइ जिनि संसारी
१७२
भेदविज्ञान जग्यौ जिन्हके घट
मोह महातम मल हर
१५२
भेदि मिथ्यात सु बेदि महारस
१२४
भेषधरि लोकनिकौं बंचै सो
२९९ यथा जीव करता न कहावै
२४६
भेषमैं न ग्यान नहि ग्यान गुरु
२९८ यथा सूत संग्रह विन
२६२
भैया जगवासी तू उदासी व्हैकैं
५६ यह अजीव अधिकारकौं
६७
यह एकन्त मिथ्यात पख
२५७
मनवचकाया करमफल
२८९ यह निचोर या ग्रंथको
११७
महा धीठ दुखकौ वसीठ
७४ यह पंचम गुनथानकी
३९१
महिमा सम्यकज्ञानकी
१३१ यह सयोगगुनथानकी
४०५
माटी भूमि सैलकी सो संपदा
२२९ या घटमैं भ्रमरुप अनादि
६३
माया छाया एक है
३३९ याहौंं नर–पिंडमैं विराजै
२०३
मांसकी गरंथि कुच कंचन–कलस
४१५ याही वर्तमानमै भव्यनिकौ
४२
मिथ्यामति गंठि–भेद जगी
३८२
मिथ्यावंत कुकवि जे प्रानी
४१५ रमा संख विष घनु सुरा
३४९

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પદ્યોની વર્ણાનુક્રમણિકા ૪૩૭
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
रविकै उदोत अस्त होत दिन दिन १८९ वस्तु स्वरुप लखै नही
४१४
राग विरोध उदै जबलौं तबलौं
२७४ वह कुबिजा वह राधिका
२८२
राग विरोध विमोह मल
११४ वानी जहां निरच्छरी
४०४
राणाकौसौ बाना लीनै आपा साधै
२१५ वानी लीन भयौ जग डोलै
४१३
राम–रसिक अर राम–रस
२३२ विनसि अनादि असुद्धता
३५२
रूपकी न झांक हीयैं करमकौ
१९१ विभाव सकति परनतिसौं विकल
३६०
रूपकी रसीली भ्रम कुलफकी
२८१ विवहार–द्रष्टिसौं विलोकत
८५
रूपचंद पंडित प्रथम
४१८ विसम भाव जामैं नहीं
३४८
रूप–रसवंत मूरतीक एक पुद्गल
६१
वेदनवारौ जीव
१६३
रेतकीसी गढी किधौं मढी है
१९८
रे रुचिवंत पचारि कहै गुरु
२०४ शिष्य कहै प्रभु तुम कह्यौ
२५३
शिष्य कहै स्वामी जीव
३१४
लक्ष्मी सुबुद्धि अनुभूति कउस्तुभ
३४८ शुद्धनय निहचै अकेलौ आपु
३०
लज्जावंत दयावंत प्रसंत
३८३ शोभित निज अनुभूति जुत
२५
लहिये और न ग्रंथ उदधिका
४०९ श्रवन कीरतन चिंतवन
२१७
लियैं द्रिढ पेच फिरै लोटन
१९१
लीन भयौ विवहारमैं
१४४ षट प्रतिमा तांई जघन
३९०
लोकनिसौं कछु नातौ न तेरौ
३३९ षट् सातैं आठैं नवैं
४०१
लोक हास भय भोग रूचि
३७८
लोकालोक मान एक सत्ता है
२२५ सकल–करम–खल–दलन
सकल वस्तु जगमैं असहाई
२६९
वचन प्रवांन करैं सुकवि
४१६ तरंज खेलै राधिका
२८४
वरतै ग्रंथ जगत हित काजा
३०९ सत्तर लाख किरोर मित
३९१
वरनादिक पुदगल–दसा
५९
सत्त्यप्रतीति अवस्था जाकी
३७५
वरनादिक रागादि यह
५८ सदगुरु कहै भव्यजीवनिसौं
३४
वरनी संवरकी दसा
१३० सदा करमसौं भिन्न
१९३
वस्तु विचारत ध्यावतैं
१३
सबदमांहि सतगुरु कहै
३४१

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૪૩૮ સમયસાર નાટક
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
सबरसगर्भिंत मूल रस
३०९ सुद्धभाव चेतन असुद्धभाव चेतन
७५
समकित उतपति चिहन गुन
३७५ सुद्ध सुछंद अभेद अबाधित
१२२
समता–रमता उरधता
१६
सुद्धातम अनुभव जहां
२३३
समता बंदन थुति करन
३९३ सुद्धातम अनुभौ कथा
३०३
समयसार आतम दरब
४२२ सुद्धातम अनुभौ क्रिया ३०५
समयसार नाटक अकथ
४०९ सुन प्रानी सदगुरु कहै
१९८
समझैं न ग्यान कहैं करम कियेसौं
१०५ सो बुध करम दसा रहित
२९३
समैसार नाटक सुखदानी
४१६ सोरहसौ तिरानवै बीतै
४२०
सम्यकवंत कहै अपने गुन
२९२ सोभामैं सिंगार बसै
३०७
सम्यकवंत सदा उर अंतर
१३३ संकलेश परिनामनिसौं
९७
सम्यक सत्य अमोघ सत
२३ संकलेश भावनि र्बंधै
१७
सरबविसुद्धी द्धारलौं
३१० संजम अंस जग्यौ जहां
३८६
सरलकौं सठ कहै
१८७ संतत जाके उदरमैं
१६
सर्वसुद्धी द्वार यह
३०६ स्यादवाद अधिकार अब
३१४
सहै अदरसन दुरदसा
३९६ स्यादवाद अधिकार यह
३३५
सात प्रकृति उपसमहि
३७९ स्यादवाद आतमदशा
३३२
साधी दधि मंथमैं अराधी
२२७ स्वपर प्रकासक सकति हमारी
३५७
साध्य सुद्ध केवल दशा
३३६ स्वारथके साचे परमारथके साचे
सामायिककीसी दसा
३८७
सासादन गुनथान यह
३२९ हांसीमैं विषाद बसै
३४०
सिद्ध समान रुप निज जानै
२८७ हिरदै हमारे महा मोहकी
२८८
सिद्धक्षेत्र त्रिभुवनमुकुट
२१
हिंसा मृषा अदत्त धन
३९३
सिष्य कहै स्वामी तुम करनी
१०० है नांही नांही सु है
३१७
सील तप संजम विरति दान
९९ हौं निहचै तिहुँकाल
२७
सुख निधान सक बंध नर
४२१
सुगुरु कहै जगमैं रहै
२७७
ज्ञ
सुगुरु ग्यानकै देह नहि
२९७ ज्ञेयाकार ग्यानकी परणति
२७०
सुद्ध दरब अनुभौ करै
२७२ ज्ञेयाकार ब्रह्म मल मानै
२७१
सुद्धनयातम आतमकी
३६
सुद्ध बुद्ध अविरूद्ध
१६६

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૪૩૯
श्रीमदमृतचन्दसूरिविरचित नाटक समयसार
कलशोंकी वर्णानुक्रमणिका
કળશ
પૃષ્ઠ
કળશ
પૃષ્ઠ
अज्ञानतस्तु
सतृणाभ्यवहारकारी ७६
अकर्ता जीवोऽयं
२४६ अज्ञानमय भावानामज्ञानी
८३
अखण्डितमनाकुलं ३६
अज्ञानमेतदधिगम्य १८३
अचिन्त्यशक्तिः स्वयमेव
१४६ अज्ञानान्मृगपृष्णिकां जलधिया
७७
अच्छाच्छा स्वयमुच्छलन्ति
१४२ अज्ञानी प्रकृतिस्वभाव
२४८
अतो हताः प्रमादिनो
२२८ अज्ञांन ज्ञानमप्येवं
८०
अतः शुद्धनयायत्तं
३०
अत्यन्तं भावयित्वाविरति
२९४ आक्रामन्नविकल्पभावमचलं ८८
अत्र स्याद्वादशुध्यर्थ
३१४ आत्मनश्चिन्तयैवालं
४०
अथ महामदनिर्भरमन्थरं
१०९ आत्मभावान्करोत्यात्मा
७५
अद्वैताऽपि हि चेतना
२१९ आत्मस्वभाव परभावभि
३३
अध्यास्य शुद्धनय
११५ आत्मानुभूतिरिति
३५
अध्यास्यात्मनि सर्वभावभवनं
३२९ आत्मानं परिशुद्धमीप्सुभिन्न
२६१
अनन्तधर्मणस्तत्त्वं
२५ आत्मा ज्ञानं स्वयं ज्ञानं
८०
अनवरतमनन्तै
२२४ आसंसारत एव धावति
७४
अनाद्यनन्तमचलं ६०
आसंसारविरोधिसंवर
१२१
अनेनाध्ववसायेन १८९
आसंसारात्प्रतिपदममी
१३७
अन्येभ्यो व्यतिरिक्तमात्मनियतं
२९५
अयि कथमति मृत्वा
४३
इति परिचिततत्वै
४९
अर्थालम्बनकाल एव कलयन्
३२७ इति वस्तुस्वभावं स्वं
१९७
अलमलमतिजल्पै
३०४ इति वस्तुस्वभावं स्वं
१९६
अवतरति न यावद्वृत्ति
५० इति सति मह
५१
अविचलितचिदात्म ३६१
अस्मिन्नानादिनि महत्यविवेकनाटये
६३
इतीदमात्मनस्तत्त्वं ३०५

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૪૪૦ સમયસાર નાટક
કળશ
પૃષ્ઠ
કળશ
પૃષ્ઠ
इतो गतमनेकतां
३५९ एकं ज्ञानमनाद्यनंतमचलं
१६६
इतः पदार्थप्रथनावगुण्ठनाद्विना
२९५ एवं तत्त्वव्यवस्थित्या
३३२
इत्यं परिग्रहमपास्य समस्तमेव
१४८ एवं ज्ञानस्य शुद्धस्य
२९७
इत्थं ज्ञानक्रकचकलना
६४ एष ज्ञानघनो नित्यमात्मा
३७
इत्यज्ञानविमूढानां
३३२ एषैकैव हि वेदना
१६३
इत्याद्यनेकनिजशक्ति सुनितरो पि
३३५
इत्यालोच्य विवेच्य तत्किल
२०९ कर्तुर्वेदयितुश्च युक्तिवशतो
२६२
इत्येवं विरचय्य संप्रति
६९ कर्तुत्वं न स्वभावोऽस्य
२४५
इदमेकं जगच्चक्षु
३०५ कथमपि समुपान्त
४०
इदमेवात्र तात्पर्प्यं
११७ कथमपि हि लभन्ते
४१
इन्द्रजालमिदमेवमुच्छलत्
८७ कर्ता कर्ता भवति न यथा
९२
कर्ता कर्मणि नास्ति नास्ति
९१
उदयति न नयश्री
३२ कर्तारं स्वफलेन यत्किल
१५६
उन्मुक्तमुन्मोच्यमशेष
२९६ कर्म सर्वमपि सर्वविदो
९९
उभयनयविरोध
२७ कर्मैव प्रवितर्क्यं कर्तु हतकैः
२५४
एकस्य वस्तुन इहान्यतरेण सार्द्धं
२५१ कषाय कलिरेकतः
३६०
एकत्वे नियतस्य शुद्धनयतो
२९ कान्तयैव स्नपयन्ति ये
४४
एकत्वं व्यवहारतो न तु
४८ कार्यत्वादकृतं न कर्म
२५३
एकमेव हि तत्स्वाद्यं
१४० कृतकारितानुमननै
२८७
एकश्चितश्चिन्मय एवभावो
२२२ क्लिश्यन्तां स्वयमेव
१४३
एकस्य बद्धो न तथा परस्य
८५ क्वचिल्लसति मेचकं
३५८
एकज्ञायकभाव निर्भर
१४१
एको दूरात्त्यजति मदिरां
९६ घृतकुम्भाभिघानेऽपि
६०
एको मोक्षपथो य एष
३०१
एकः कर्ता चिदहमिह
६७ चिच्छक्तिव्याप्तसर्वस्व
५७
एकः परिणमित सदा
७२ चित्पिण्डचण्डमविलासविकास
३५३

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કળશોની વર્ણાનુક્રમણિકા ૪૪૧
કળશ
પૃષ્ઠ
કળશ
પૃષ્ઠ
चित्स्वभावभरभावितभावा ८७
द्विधाकृत्य
प्रज्ञाक्रकच
२१२
चिरमिति नवतत्त्व
३१
चित्रात्मशक्तिसमुदायमयो ३५४
धीरोदारमहिम्न्यनादिनिधने ११७
चैद्रूप्यं जडरूपतां च
१२२
न करिष्यामि न कारयिष्यामि
२९०
जयति सहजतेजः
३६१ न करोमि न कारयामि
२८९
जानाति यः स न करोति
१७९ न कर्म्मबहुलं जगन्न
१७४
जीवाजीवविवेकपुष्कलद्रशा
५५
न जातु रागादिनिमित्तभाव
१९५
जीवादजीवमिति
६२ न द्रव्येन खण्डयामि न क्षेत्रे
३५६
जीवः करोति यदि पुद्गलकर्म
८० ननु परिणाम एव किल
२३८
नमः
समयसाराय
२५
टङ्कोत्कीर्णविशुद्धबोधविसरा
३३१ न हि विदधति बद्ध
३४
टङ्कोत्कीर्णस्वरस १६७
नाश्नुते
विषयसेवनेऽपि
१३३
नास्ति सर्वोऽपि सम्बन्धः
२५०
तज्जज्ञानस्यैव सामर्थ्य
१३१ निजमहिमरतानां
१२४
तथापि न निरर्गलं
१७६ नित्यमविकारसुस्थित
४५
तदथ कर्म शुभाशुभभेदतो
९५
निर्वर्त्यते येन यदत्रकिंचित्
५९
त्वक्त्वाऽशुद्धिविधायि २३९
निः
शेषकर्म्मफलसंन्यसनात्मनैवं
२९३
त्यजतु जगदिदानीं
४२ निषिद्धे सर्वस्मिन्
१००
त्यक्त्तं येन फलं स कर्म
१५७ नीत्वा सम्यक् प्रलयम
२४४
नैकस्य हि कर्तारौ द्वौ
७३
दर्शनज्ञानचारित्र
२९९ नैकान्तसङ्गतद्रशा स्वयमेव वस्तु
३५०
दर्शनज्ञानचारित्रै
३९
नोभौ परिणमतः खलु
७२
दर्शनज्ञानचारित्रै ३८
दूरं भूरिविकल्पजालगहने
८९ पदमिदं ननु कर्म दुरासदं
१४६
द्रव्यलिङ्गममकारमीलतै ३०३
परद्रव्यग्रहं
कृर्वन्
२२४

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૪૪૨ સમયસાર નાટક
કળશ
પૃષ્ઠ
કળશ
પૃષ્ઠ
परपरणतिहेतो २६
भेदविज्ञानतः
सिद्धाः
१२६
परपरिणतिमुज्झत् ६८
भेदज्ञानोच्छलन १२७
परमार्थेन तु व्यकतज्ञा
३९
भेदोन्मादं भ्रमरसभरा
१०६
पूर्णैकाच्युतशुद्धबोधमहिमा
२७७ भोक्तृत्वं न स्वभावोऽस्य
२४७
पूर्वबद्ध निजकर्म
१४९
पूर्वालम्बितबोध्यनाशसमये ३२६
मग्नाः
कर्मनयावलम्बनपरा १०५
प्रच्युत्य शुद्धनयतः
११६ मज्जन्तु निर्भरममी
५२
प्रत्यक्षालिखितस्फुटस्थिर
३२३ मा कर्तारममी स्पृशन्तु
२५५
प्रत्याख्याय भविष्यकर्म
२९१ मिथ्याद्रष्टेः स एवास्य
१८८
प्रमादकलितः कथं भवति
२३५ मोहविलासाविजृम्भित
२९०
प्रज्ञाछेत्री शितेयं
२१३ मोहाधदहमकार्ष
२८८
प्राकारकवलितांबर ४६
मोक्षहेतुतिरोधान १०२
प्राणोच्छेदमुदाहरन्ति मरणं
१६३
प्रादुर्भावविराममुद्रित
३३० य एव मुक्त्वा नयपक्षपातं
८४
यत्तु वस्तु कुरुतेऽन्य वस्तुनः
२७०
बन्धच्छेदात्कलयदतुलं २४०
यत्सन्नाशमुपैतितन्न
नियतं
१६४
बहिर्लुठति यद्यपि
२६८ यदि कथमपिधारावाहिना
१२३
बाह्यार्थग्रहणस्वभावभरतो ३२१
यदहकार्षं
यदहमचीकरं २८७
बाह्यार्थैः परिपीतमुज्झित
३१४ यदिह भवति रागद्वेष
२७६
यदेतज्ज्ञानात्मात्मा
ध्रुवम्
१०१
भावयेद्भेदविज्ञान १२६
यस्माद्द्वैतमभूत्पूरा ३६३
भावास्रवाभावमयं प्रपन्नो
१११ यत्र प्रतिक्रमणमेव २३२
भावो रागद्वेषमोहैर्विना
११० याद्रक ताद्रगिहास्ति
१५४
भिन्त्वा सर्वमपि स्वलक्षण
२१८ यावत्पाक मुपैति कर्मविरति
१०४
भिन्नक्षैत्रनिषण्णबोध्य
३२४ ये तु कर्तारमात्मानं
२४९
भूतं भान्तमभूतमेव रभसा
३४
ये तु स्वभावनियमं
२५२

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કળશોની વર્ણાનુક્રમણિકા ૪૪૩
કળશ
પૃષ્ઠ
કળશ
પૃષ્ઠ
ये त्वेनं परिहृत्य संवृतिपथ
३०१ वस्ंतु चैकमिह नान्यवस्तुनो
२६९
ये ज्ञानमात्रनिजभावमयीमकम्पां
३५० विकल्पकः परं कर्ता
९०
योऽयं भावो ज्ञानमात्रोऽह
३५६ विगलन्तु कर्मविषतरु
२९२
यः करोति स करोति केवलं
९० विजहति न हि सत्ता
११३
यः परणमतिः सकर्ता
७१ विरम किमपरेणा
५६
यः पूर्वभावकृतकर्म्म
२९३ विश्रान्तः परभावभावकलना
३२८
विश्वाद्विभक्तोऽपि हि यत्प्रभावा
१९३
रागजन्मनि निमित्ततां
२७७ विश्वं ज्ञानमिति प्रतर्क्यं
३२०
रागद्वेषद्वयमुदयते २७४
वृत
ज्ञानस्वभावेन १०१
रागद्वेषविमोहानां ११४
वृत्तं
कर्मस्वभावेन १०२
रागद्वेषविभावमुक्तमहसो २८४
वृत्त्यंशभेदतोऽत्यन्तं
२५८
रागद्वेषाविह हि भवति
२७४ वेद्यवेदकविभावचलत्वा
१५०
रागद्वेषोत्पादकं तत्वद्रष्टया
२७५ व्यतिरिक्त परद्रव्यादेवं
२९७
रागादयो बन्धनिदानमुक्ताः
१९४ व्यवहरणनयः स्याद्य
२८
रागादीनां झगिति विगमात्
११८ व्यवहारविमूढद्रष्टयः
३०२
रागादीनामुदयमदयं २१०
व्याप्यव्यापकता
तदात्मनि
७०
रागाद्यास्रवरोधतो १३०
व्यावहारिकद्रशैव
केवलं
२६७
रागोद्गारमहारसेन सकलं
१७२
रुन्धन् बन्धं नवमिति
१६९ शुद्धद्रव्यनिरूपणार्पित
२७०
शुद्धद्रव्यस्वरसभवनात्किं
२७३
लोकः कर्म ततोऽस्तु सोस्तु
१७५
लोकः शाश्वत एक एष
१६१ सकलमपि विहायाह्नाय
५८
संन्यस्तव्यमिदं
समस्तमपि
१०३
वर्णादिसामग्रयमिदं विदन्तु
५९
संन्यस्यन्निजबुद्धिपूर्वमिनिशं
१११
वर्णाद्या वा रागमोहादयो वा
५८ समस्तमित्येवमपास्य कर्म
२९१
वर्णाद्यैः सहितस्तथा
६१
सम्पद्यते संवर एष साक्षा
१२५

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૪૪૪ સમયસાર નાટક
કળશ
પૃષ્ઠ
કળશ
પૃષ્ઠ
सम्यग्द्रष्टय एव साहसमिदं
१५९
सम्यग्द्रष्टिः स्वयमयमहं
१३४ हेतुस्वभावानुभवाश्रयाणां
९७
सम्यग्द्रष्टे र्भवति नियतं
१३३
क्ष
सर्वतः स्वरसनिर्भरभावं
५० क्षणिकमिदमिहैकः
२५६
सर्वत्राध्यवसानमेवमखिलं १९३
ज्ञ
सर्वस्यामेव जीवन्त्यां
११२ ज्ञप्तिः करोतौ नहि भासतेऽन्तः
९१
सर्वद्रव्यमयं प्रपद्य
३२४ ज्ञानमय एव भावः
८२
सर्वं सदैव नियतं
१८२ ज्ञानवान् स्वरसतोऽपि
१५२
सिद्धान्तोऽयमुदात्तचित्र
२२३ ज्ञानस्य संचेतनयैव नित्यं
२८५
स्थितेति जीवस्य निरन्तराया
८१
ज्ञानाद्विवेचकतया तु परात्मनोर्यो
७८
स्थितेत्यविघ्ना खलु पुद्गलस्य
८१
ज्ञानादेव ज्वलनपयसो
७९
स्याद्वादकौशलसुनिश्चल संयमाभ्यां
३५१ ज्ञानिन् कर्म्म न जातु
१५५
स्याद्वाददीपितलसन्महसि प्रकाशे
३५४ ज्ञानिनो नहि परिग्रह भावं
१५०
स्वशक्तिसंसूचित वस्तुतत्वै
३६३ ज्ञानिनो ज्ञाननिर्वृत्ताः
८२
स्वक्षेत्रस्थितये पृथग्विघि
३२५ ज्ञानी करोति न न वेदयते च कर्म
२४९
स्वेच्छासमुच्छलद ८६
ज्ञानी
जानन्नपीमां ७१
स्वं रूप किल वस्तुनोऽस्ति
१६५ ज्ञेयाकारकलङ्कमेचकचिति
३२२